दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम वैदिक काल ( Vedic Kaal ) का एक विस्तृत अध्ययन करेंगे ,यहाँ हम वैदिक समाज की विशेषताओं पर चर्चा करेंगे ,यथा वैदिक कालीन राजनीतिक और आर्थिक स्थिति की विशेषताएं , वैदिक कालीन आर्थिक जीवन , आर्यों के काल को वैदिक काल क्यों कहा जाता है , ऋग्वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल में अंतर , ऋग्वैदिक काल में भारत की सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक दशा का वर्णन , तथा वैदिक काल के महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में चर्चा करेंगे,दोस्तों लेख़ के अंत में आप “Vedic Kaal , Rig Vedic Kaal , Uttar Vedic Kaal”के अंतर्गत कवर किये गए टॉपिक के PDF को Download भी कर सकते हैं
तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं
वैदिक काल (Vedic Kaal)
- वैदिक शब्द वेद से बना है, वेद का अर्थ होता है ज्ञान,इस काल को वैदिक काल इसलिए भी कहा गया क्योंकि इस काल के बारे में हमको जानकारी वेदों से मिलती है
- सिंधु सभ्यता के पश्चात विकसित हुए काल को वैदिक सभ्यता या आर्य सभ्यता के नाम से जाना जाता है
- आर्यों के काल को वैदिक काल इसलिए कहा जाता है क्योकि हमें आर्य काल के बारे में जानकारी वेदों से ही मिलती है
आर्य शब्द का अर्थ
आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ होता है
आर्यों की भाषा
आर्यों की भाषा संस्कृत थी
आर्यों का मूल निवास स्थान
आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में मतैक्य नहीं है
अलग-अलग विद्वानों द्वारा आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में अलग-अलग विचार दिए गए हैं
उत्तरी ध्रुव |
पंडित बाल गंगाधर तिलक |
मध्य एशिया |
मैक्स मूलर |
तिब्बत |
पंडित दयानंद सरस्वती |
कश्मीर |
एल.डी.कल्ल |
हंगरी |
पी गाइल्स |
जर्मनी |
पेन्का व हर्ट |
सप्त सैंधव देश |
संपूर्णानंद एवं डॉ अविनाश चंद्र |
मुल्तान |
डीएस त्रिवेदी |
पामीर पठार |
मेयर |
दक्षिणी रूस |
ब्रिटिश टीम |
- बोगजकोई(एशिया माइनर)के चौदहवीं शताब्दी ईसा पूर्व के अभिलेखों में वैदिक कालीन देवताओं का उल्लेख मिलता है,यह इस ओर इशारा करता है कि आर्य ईरान से भारत आये
- ऋग्वेद तथा ईरानियों के धर्म-ग्रंथ जेंद-अवेस्ता में बड़ी समानता पाई जाती है
- यूरोप की भाषाएं,संस्कृत तथा ईरानी भाषा एक ही भाषा परिवार का हिस्सा है इस सिद्धांत का विचार सर विलियम जॉन्स ने दिया था
वैदिक समाज की विशेषताओं पर एक नज़र
- आर्यों का पेय पदार्थ सोमरस था
- वैदिक कालीन शासकीय प्रणाली राजतंत्र थी
- वैदिक काल में गाय को अघन्या माना जाता था
- वैदिक काल में जीविकोपार्जन के लिए वेदो को पढ़ाने वाले को उपाध्याय बोला जाता था
वैदिक काल (Vedic Kaal) की प्रशासनिक इकाई
वैदिक काल की प्रशासनिक इकाई का आरोही क्रम निम्न प्रकार है:-
1.कुल
2.ग्राम
3.विश्
4.जन
5.राष्ट्र(जनपद)
वैदिक काल (Vedic Kaal) की राज्य प्रणाली
वेदों के अनुसार वैदिक काल में पांच प्रकार की राज्य प्रणाली होती थी,वैदिक काल की राज्य प्रणाली निम्न प्रकार है:-
दिशा |
शासित |
मध्य(केंद्रीय) |
राजा द्वारा शासित |
उत्तर |
विराट द्वारा शासित |
दक्षिण |
भोज द्वारा शासित |
पूर्व |
सम्राट द्वारा शासित |
पश्चिम |
सर्वत द्वारा शासित |
वैदिक कालीन अधिकारी
वैदिक कालीन रत्नियो(अधिकारियों) का उल्लेख निम्न प्रकार है:-
रत्निन(अधिकारीगण) |
कार्य |
ग्रामानी |
गांव प्रधान |
पुरोहित |
मुख्य पुजारी,परामर्शदाता |
सेनानी |
सेना प्रमुख |
वज्रपति |
चरागाह प्रमुख |
महिषी |
राजा की मुख्य रानी |
सुता |
सारथि |
संग्रहिती |
कोषाध्यक्ष |
कुलपति |
परिवार का मुखिया |
भागदुध |
राजस्व एकत्र करने वाला अधिकारी |
दूत |
सन्देश-वाहक |
पलागल |
विदूषक |
तक्षण |
बढ़ई |
अक्षावाप |
लेखपाल |
जीवाग्रिभा |
पुलिस का अधिकारी |
मध्यमासी |
मध्यस्थ |
आर्यों के पंचजन
1.यदु
2.पुरु
3.अनु
4.तुर्वस
5.द्रुहु
वैदिक कालीन आर्थिक जीवन
वैदिक काल के प्रमुख व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन थे,आर्यों की संस्कृति मूलतः ग्रामीण थी ,प्राचीन आर्यों की प्रमुख जीविका शिकार थी,ये सभी ही वैदिक कालीन आर्थिक स्थिति की प्रमुख विशेषताएं हैं
वेद
- वेदों का अर्थ ज्ञान है
- वेद गद्य और पद्य दोनों में लिखे गए हैं
- वेदो को श्रुति भी कहा जाता है ,वेद-गुरु अपने शिष्यों को सुनाते थें,यह परंपरा चलती रहती थी,पहले वेद लिखित रूप में नहीं थें
मुनि वेदव्यास ने वेदों का संकलन 4 भाग में किया,क्रमश:
1.ऋग्वेद
2.सामवेद
3.यजुर्वेद
4.अथर्ववेद
वेद-त्रयी
ऋग्वेद,यजुर्वेद व सामवेद को वेद-त्रयी कहा गया है
वेद के भाग
प्रत्येक वेद के चार भाग होते हैं
1.संहिता:-
संहिता से तात्पर्य वैदिक मंत्रों के संकलित रूप से है
2.ब्राह्मण ग्रंथ:-
ब्राह्मण ग्रंथ वैदिक मंत्रों की व्याख्या करते है | वेदों में देवताओ के सूक्त है, जिनको वस्तु, व्यक्तिनाम या आध्यात्मिक शक्ति मानकर कई व्याख्यान बनाए गए है, ब्राह्मण ग्रंथ इनमे मदद करते है
यथा:-
1.विद्वांसो हि देवा – शतपथ ब्राह्मण के ये विद्वान् ही देवता होते है
2.यज्ञ: वै विष्णु:– यज्ञ ही विष्णु है
3.आरण्यक:-
गद्य खंड,इनका अध्ययन वनो(अरण्य) में किया जाता था
4.उपनिषद:-
उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है विद्या प्राप्त करने के लिए शिष्य का गुरु के समीप बैठना,उपनिषद को वेदांत भी कहा जाता है
ऋग्वेद:-
- ऋग्वेद में स्तोत्रों को संकलित किया गया है
- ऋग्वेद में 1028 सूक्त(ऋचाएं)संकलित हैं
- ऋग्वेद 10 मंडलों में विभाजित है
- ऋग्वेद की मूल लिपि ब्राह्मी को माना जाता है
- ऋग्वेद में 10580 मंत्र है
- ऋग्वेद के मंत्रों को उच्चारित करके यज्ञ संपन्न कराने वाले पुरोहित को होतृ(होता)कहा जाता था
ऋग्वेद के दस मंडल एवं उनके रचियता
मंडल |
रचियता |
प्रथम |
अनेक ऋषि |
द्वित्तीय |
गृत्समद |
तृत्तीय |
विश्वामित्र |
चतुर्थ |
वामदेव |
पंचम |
अत्रि |
षष्ठ |
भारद्वाज |
सप्तम |
वशिष्ठ |
अष्ठम |
आंगिरस,कण्व |
नवम |
अनेक ऋषिगण |
दशम |
अनेक ऋषिगण |
ऋग्वेद के तीसरे मंडल में गायत्री मंत्र वर्णित है, गायत्री मंत्र के रचनाकार विश्वामित्र हैं ,गायत्री मंत्र सूर्य देवता(सविता) को समर्पित है
ऋग्वेद के नौवें मंडल के सभी मंत्र जो कि 114 हैं, सोम को समर्पित हैं
ऋग्वेद में सप्त सिंधु प्रदेश (भारतवर्ष का उत्तर पश्चिमी भाग-आर्यो का प्राचीनतम निवास-स्थान जो की मुख्यता पंजाब,कश्मीर में फैला था )की 7 नदियाँ उल्लेखित है :-
1.सरस्वती
2.विपाशा
3.परुष्णी
4.अस्किनी
5.सिंधु
6.विवस्ता
7.शुतुद्री
ऋग्वेद के प्रारंभिक मंडलो में तीन वर्ण उल्लेखित है
1.ब्रह्मा
2.क्षत्र
3.विश
- ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में शूद्र शब्द उल्लेखित है,दसवें मंडल में औषधि का वर्णन भी मिलता है
- गोत्र शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में हुआ
- गोत्र शब्द गोशाला के लिये प्रयोग किया जाता था
- ऋग्वेद में सर्वाधिक 250 सूक्त इंद्र को समर्पित हैं
- ऋग्वेद में अग्नि को 200 सूक्त समर्पित हैं
- ऋग्वेद के अनुसार सृष्टि हिरण्यगर्भ से उत्पन्न हुई है
- ऋतु धारणानुसार ब्रम्हांड नियमित मार्ग पर चलता है,दिवस के बाद रात्रि,ग्रीष्म, शीत, वर्षा आदि ऋतुएँ आती है,ऋतु के अनुसार रह कर प्रकृति के नियमों का पालन करें
- ऋग्वैदिक काल में सोने के हार को ही निष्क कहते थे,कालांतर में निष्क का प्रयोग सिक्के के रूप में हुआ
- ऋग्वेद में लोहे का उल्लेख नहीं मिलता है
- ऋग्वेद में सभा शब्द का उल्लेख 8 बार मिलता है, समिति का 9 बार उल्लेख मिलता है,सभा को उच्च कुलीन व्यक्ति सुशोभित करते थे जबकि समिति में साधारण जन शामिल थे
- ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है
- आयुर्वेद धनवंतरी से संबंधित है, पतंजलि, बाणभट्ट, सुश्रुत आदि इसके प्रमुख रचियताओं में से एक हैं
ऋग्वेद में उल्लेखित नदियाँ:-
गंगा |
एक बार उल्लेख |
यमुना |
तीन बार उल्लेख |
सिंधु(हिरण्यनी) |
सर्वाधिक उल्लेख |
सरस्वती(मातेतमा,देवीतमा, नदीतमा) |
सबसे पवित्र नदी |
ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ:-
1.ऐतरेय
2.कौषीतकी
यजुर्वेद
- यजुर्वेद में यज्ञ संबंधी विधि-विधानों एवं कर्मकाण्डों का वर्णन किया गया है ,यजुर्वेद पद्य एवं गद्य दोनों में मिलता है
- यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रंथ शतपथ ब्राह्मण है
- शतपथ ब्राह्मण में पुर्नजन्म का सिद्धांत,पुरुषमेध वर्णित है,राजसूय यज्ञ का उल्लेख भी शतपथ ब्राह्मण में मिलता है
- यजुर्वेद का उपवेद धनुर्वेद है
- धनुर्वेद अस्त्र-शस्त्र से संबंधित है,द्रोणाचार्य,विश्वामित्र,कृपाचार्य इससे संबंधित प्रमुख आचार्य हैं
- इशोपनिषद यजुर्वेद का अंतिम भाग है, यह आध्यात्मिकता से संबंधित है
- यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं जो क्रमशः कृष्ण यजुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद है
शुक्ल यजुर्वेद
- शुक्ल यजुर्वेद पद्य में मिलता है
- वाजसनेय शुक्ल-यजुर्वेद की संहिताओं को बोला जाता है
जाबालोपनिषद में चार आश्रम का उल्लेख मिलता है:-
1.ब्रह्मचर्य (25 वर्ष तक)
2.गृहस्थ( 25-50)
3.वानप्रस्थ(50-75)
4.संन्यास(75-100)
कृष्ण यजुर्वेद
- कृष्ण यजुर्वेद दोनों स्वरूपों पद्य,गद्य में है
- कृष्ण यजुर्वेद में श्लोकों की व्याख्या भी मिलती है
- कृष्ण यजुर्वेद की प्रमुख शाखा तैत्तरीय,व मैत्रायणी है
- कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेद का उपनिषद है
- कठोपनिषद में यम तथा नचिकेता का संवाद है
सामवेद
- सामवेद में यज्ञों में बोले जाने वाले मंत्रों को संग्रहित किया गया है
- मंत्र उच्चारण करने वाले व्यक्ति को उदगाता बोला जाता था
- सामवेद में कुल छंदों की संख्या 1810 हैं,75 श्लोकों के अतिरिक्त शेष सभी श्लोक ऋग्वेद से लिए गए हैं ,यह संगीत से संबंधित है
- सामवेद के ब्राह्मण ग्रंथ पंचविश,ताण्डय,जैमिनीय है
- गंधर्व-वेद साम वेद का उपवेद है यह भरत,नारद मुनि से संबंधित है इसमें गायन,नृत्य आदि वर्णित हैं
अथर्ववेद
- अथर्ववेद में तंत्र-मंत्र,आयुर्वेद इत्यादि का वर्णन है
- मंत्रोचार करने वाले को ब्रह्मा कहा जाता था
- परीक्षित को मृत्यु लोक का देवता अथर्ववेद में कहा गया है
- सभा(न्यायिक कार्य) और समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया है
- अथर्ववेद की दो शाखाएं पिप्पलाद एवं शौनक हैं
- सत्यमेव-जयते मुंडकोपनिषद् से लिया गया है
- अथर्ववेद का ब्राह्मण ग्रंथ गोपथ ब्राह्मण हैं
- स्थापत्य वेद अथर्ववेद का उपवेद है इसके रचयिता विश्वामित्र हैं इसमें वास्तु शास्त्र इत्यादि का वर्णन है
उपनिषद
- उपनिषद ब्राह्मण ग्रंथों के भाग ही होते हैं, उपनिषद का अर्थ गुरु के समीप एकांत में बैठकर गूढ़ विषयों का अध्ययन करना होता है
- उपनिषदों में जैसा कर्म वैसा ही फल मिलता है जैसे सिद्धांतों का वर्णन है
- उपनिषद मुख्यतः दर्शन पर आधारित है
- उपनिषदों को ही वेदांत कहा गया
- उपनिषद में मोक्ष के बारे में उल्लेख मिलता है
- उपनिषद दर्शन पर पुस्तके हैं उपनिषदों को वेदांत भी कहा जाता है
- प्रथम बार मोक्ष की चर्चा उपनिषद से मिलती है
पुराण
पुराणों की संख्या अट्ठारह हैं
1.मत्स्य
2.अग्नि
3.नारद
4.पदम
5.लिंग
6.गरुड़
7.कूर्म
8.ब्रह्मा-वैवर्त
9.स्कंध
10.मार्कण्डेय
11.भविष्य
12.भागवत
13.ब्रह्मांड
14.ब्रह्मा
15.वामन
16.वराह
17.विष्णु
18.वायु
16 संस्कार
निम्नलिखित १६ संस्कार बताये गए हैं
1.गर्भाधान
2.पुंसवन
3.सीमन्तोनयन
4.जात-कर्म
5.नामकरण
6.निष्क्रमण
7.अन्नप्राशन
8.चूड़ाकर्म
9.विद्यारम्भ
10.कर्णवेध
11.उपनयन
12.वेदारंभ
13.केशांत
14.समावर्तन
15.विवाह
16.अंत्येष्टि
गुह्य सूत्र
गुह्य सूत्र में जन्म से मृत्यु तक के कर्तव्यों को वर्णित किया गया है,सूत्र में निम्नलिखित आठ प्रकार की विवाह पद्धति दी गई हैं
1.ब्रह्म
2.दैव
3.आर्ष
4.प्राजपत्य
5.आसुर
6.गन्धर्व
7.राक्षस
8.पैशाच
पुरुषार्थ
चार पुरुषार्थ बताये गए हैं
1.धर्म
2.अर्थ
3.काम
4.मोक्ष
षड्दर्शन
दर्शन |
प्रणेता |
न्याय |
गौतम ऋषि |
वैशेषिक |
कणाद ऋषि |
सांख्य(प्राचीनतम) |
कपिल ऋषि |
योग |
पतंजलि |
पूर्व मीमांसा |
महृषि जैमिनी |
उत्तर मीमांसा |
महृषि बादरायन |
वेदांग
सहायक शास्त्र को ही वेदांग कहा गया,वेदांगओं की संख्या 6 हैं
वेदांग |
संबंधित |
स्थिति |
शिक्षा |
व्याकरण |
नाक |
व्याकरण |
भाषा का शुद्ध प्रयोग |
मुख |
छंद |
छंदो से सम्बंधित |
पैर |
कल्प |
कर्मकांडो की विधि |
हाथ |
निरुक्त |
शब्द की उत्पत्ति |
कान |
ज्योतिष |
नक्षत्रों |
नेत्र |
वैदिक काल का विभाजन
वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया जाता है
1.ऋग्वैदिक काल या पूर्व वैदिक काल
(1500-1000 ईसा पूर्व)
2.उत्तर वैदिक काल
(1000-600 ईसा पूर्व)
ऋग्वैदिक काल में भारत की सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक दशा
- ऋग्वैदिक काल की जानकारी मुख्यतया ऋग्वेद से मिलती है
- ऋग्वैदिक समाज पितृसत्तात्मक था
- ऋग्वेद में आर्य-राजाओं का वर्णन मिलता है
- ऋग्वेद में लोपामुद्रा,सिकता,घोषा,अपाला जैसी विदुषी महिलाओं को वर्णित किया गया है,इन्होने कुछ मंत्रो की रचना की थी
- दस राजाओं का युद्ध(दशराज्ञ युद्ध ) परुष्णी(रावी) नदी तट पर लड़ा गया था,दशराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में मिलता है इसमें आर्य एवं अनार्य के बीच युद्ध का उल्लेख है,इसमें भारतों के राजा सुदास को विजयश्री प्राप्त हुई
उत्तर वैदिक काल
उत्तर वैदिक काल में समाज को चार वर्णों में विभक्त देखा जाता है
1.ब्राह्मण
2.क्षत्रिय
3.वैश्य
4.शुद्र
- ऐतरेय ब्राह्मण में चारों वर्णों का उनके कर्तव्यों के समेत वर्णन मिलता है
ऋग्वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल में अंतर
- ऋग्वैदिक काल तथा उत्तर वैदिक काल में अंतर का स्पष्ट आधार, वर्ण व्यवस्था से पता चलता है ,ऋग्वैदिक काल में समाज वर्ण के आधार पर स्पष्टतया विभाजित नहीं हुआ था जबकि उत्तर वैदिक काल में समाज का विभाजन वर्ण आधार पर स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है
कुछ अन्य अंतर निम्न रूप से देखे जा सकते हैं
- उत्तर वैदिक काल में मृद-भांड लाल रंग में प्रचलित था
- उत्तर वैदिक काल में निष्क तथा शतिमान मुद्राएं प्रचलन में थी
- उत्तर वैदिक काल में लोहे को कृष्ण अयस कहा जाता था
- उत्तर वैदिक काल में तांबे को लोहित अयस कहा जाता था
- उत्तर वैदिक काल में हल रेखा को सीता तथा हल को सिरा कहा गया
- उत्तर-वैदिक काल में गोत्र प्रचलन में आए
- उत्तर-वैदिक काल में इंद्र का स्थान प्रजापति ने ले लिया
- उत्तर वैदिक काल में राजसूर्य यज्ञ किया जाने लगा इसका विवरण शतपथ ब्राह्मण में मिलता है
- उत्तर वैदिक काल में सभ्यता का विस्तार बिहार तक हो गया
वैदिक कालीन प्रमुख देवता
वैदिक कालीन प्रमुख देवता निम्न है
इंद्र (पुरंदर-किलो को तोड़ने वाले) |
विश्व के स्वामी,अंतरिक्ष के देवता ,युद्ध और मौसम के देवता,वर्षा के देवता |
अग्नि |
पृथ्वी के देवता,पुरोहितों के देवता |
रूद्र |
तूफान के प्रतीक,अंतरिक्ष के देवता |
बृहस्पति |
पृथ्वी के देवता,देवताओं के पुरोहित |
वरुण |
समुद्र के देवता,आकाश के देवता |
सरस्वती |
ज्ञान की देवी |
अरण्यनी |
जंगल की देवी |
सूर्य |
आकाश के देवता |
विष्णु |
आकाश के देवता |
भूषण |
औषधियों के देवता |
वैदिक कालीन नदियों के प्राचीन एवं आधुनिक नाम
कुछ नदियों के प्राचीन एवं आधुनिक नाम निम्न है
प्राचीन नाम |
आधुनिक नाम |
गोमती |
गोमल |
अस्किनी |
चिनाव |
क्रुभ |
कुर्रम |
कुभा |
काबुल |
विवस्ता |
झेलम |
परुष्णी |
रावी |
सदानीरा |
गंडक |
शुतुद्री |
सतलज |
दृशदृति(दर्सदती) |
घग्घर |
सुवास्तु |
स्वात |
विपाशा |
व्यास |
vedic kaal MCQ in hindi
QUESTION 1. गायत्री मंत्र का उल्लेख किस वेद में मिलता है?
(A) ऋग्वेद में
(B) सामवेद में
(C) यजुर्वेद में
(D) अथर्ववेद में
QUESTION 2. निम्नलिखित आश्रमों को क्रमानुसार रखिये-
(A) ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास
(B) गृहस्थ, ब्रह्मचर्य, संन्यास, वानप्रस्थ
(C) ब्रह्मचर्य, संन्यास, गृहस्थ, वानप्रस्थ
(D) संन्यास, वानप्रस्थ, गृहस्थ, ब्रह्मचर्य
QUESTION 3. ऋग्वेद की मूल लिपि थी-
(A) देवनागरी
(B) खरोष्ठी
(C) पाली
(D) ब्राह्मी
QUESTION 4. ऋग्वेद का सर्वाधिक लोकप्रिय छन्द कौन सा है?
(A) गायत्री
(B) अनुष्टप
(C) त्रिष्टप
(D) जगती
QUESTION 5. निम्नलिखित मे से किसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है?
(A) यजुर्वेद
(B) सामवेद
(C) अथर्ववेद
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
QUESTION 6. निम्नलिखित चार वेदों में से किस एक में जादुई माया और वशीकरण का वर्णन है?
(A) ऋग्वेद
(B) यजुर्वेद
(C) सामवेद
(D) अथर्ववेद
QUESTION 7. पूर्व-वैदिक आर्यों का धर्म प्रमुखतः था?
(A) भक्ति
(B) मूर्ति पूजा और यज्ञ
(C) प्रकृति पूजा और यज्ञ
(D) प्रकृति पूजा और भक्ति
QUESTION 8. ‘आयुर्वेद अर्थात जीवन का विज्ञान’ का उल्लेख सर्वप्रथम मिलता है-
(A) आरण्यक में
(B) सामवेद में
(C) यजुर्वेद में
(D) अथर्ववेद में
QUESTION 9. ऋग्वैदिक धर्म था-
(A) बहुदेववादी
(B) एकेश्वरवादी
(C) अद्वैतवादी
(D) निवृत्तमार्गी
QUESTION 10. मैत्रयी संहिता का सम्बन्ध है-
(A) ऋग्वेद से
(B) सामवेद से
(C) यजुर्वेद से
(D) अथर्ववेद से
QUESTION 11. गोत्र शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम हुआ था-
(A) अथर्ववेद में
(B) ऋग्वेद में
(C) सामवेद में
(D) यजुर्वेद में
QUESTION 12. सुरा की आहुति का सम्बन्ध है-
(A) अश्वमेध से
(B) राजसूय से
(C) वाजपेय से
(D) सौत्रामणि से
QUESTION 13. ऋग्वेद के किन मण्डलों को वंश मण्डल के नाम से जाना जाता है?
(A) प्रथम एवं द्वितीय मण्डलों को
(B) द्वितीय से सप्तम मण्डलों को
(C) नवें एवं दशम मण्डलों को
(D) आठवें एवं नवें मण्डलों को
QUESTION 14. ऋग्वेद में निम्नलिखित में से किस शिल्प का उल्लेख नहीं है?
(A) हाथी दांत पर उत्कीर्णन
(B) मृद्भाण्ड संरचना
(C) बुनाई
(D) बढ़ईगीरी
QUESTION 15 . ऋग्वेद में सर्वाधिक संख्या में मंत्र सम्बन्धित हैं-
(A) अग्नि से
(B) वरुण से
(C) विष्णु से
(D) यम से
QUESTION 16. प्रसिद्ध दाशराज्ञ युद्ध (दस राजाओं का युद्ध) का उल्लेख है-
(A) ऋग्वेद में
(B) यजुर्वेद में
(C) सामवेद में
(D) उपयुक्त में से कोई नहीं
QUESTION 17. अवेस्ता और ऋग्वेद में समानता है। अवेस्ता किस क्षेत्र से सम्बन्धित है?
(A) भारत से
(B) ईरान से
(C) इजराइयल से
(D) मिस्र से
QUESTION 18. निम्न मे से कौन-सा वेद गद्य एवं पद्य दोनों मे लिखा है?
(A) ऋग्वेद
(B) सामवेद
(C) यजुर्वेद
(D) अथर्ववेद
QUESTION 19. कौन सा वेद सबसे प्राचीन है?
(A) अथर्ववेद
(B) ऋग्वेद
(C) सामवेद
(D यजुर्वेद
QUESTION 20. यज्ञ सम्बन्धी विधि-विधानों का पता चलता है-
(A) ऋग्वेद में
(B) सामवेद में
(C) ब्राह्मण ग्रन्थों में
(D) यजुर्वेद में
QUESTION 21. ऋग्वेद का कौन-सा मंडल पूर्णतः सोम को समर्पित है?
(A) सातवां मण्डल
(B) आठवां मंडल
(C) नौवां मंडल
(D) दसवां मण्डल
धन्यवाद
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