Skip to content
16 mahajanapadas

WhatsApp Channel

Telegram Group

16 mahajanapadas history in hindi pdf

आर्टिकल 16 mahajanapadas को शुरू करते हुए दो शब्द :

दोस्तों जैसा की आप सब जानते है की प्रतियोगी परीक्षाओ में बेहतर से बेहतर परफॉर्म  करना वक्त की मांग बन चुका है ,इसके लिए आप सभी प्रतिभागी कठोर परिश्रम करते है आपके इसी प्रयास में आपकी सहायता करने के लिए हमने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ के सिलेबस को ध्यान में रखते हुए इससे संबंधित विभिन्न topics के ऊपर डीप रिसर्च करके एग्जाम के अनुकूल नोट्स तैयार किए हैं, हम आशा करते हैं प्रतियोगी परीक्षाओ में अधिकतम अंक प्राप्त करने में ये अद्भुत नोट्स आप की अभूतपूर्व सहायता करेंगे, इन नोट्स में अति महत्वपूर्ण तथ्यों का समागम किया गया है तथा अति महत्वपूर्ण प्रश्नों को संग्रहित कर आपके लिए प्रस्तुत किया गया है, आशा करते हैं कि आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आएगा 

दोस्तों अगर आपको हमारा प्रयास पसंद आता है तो आप इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर अवश्य कीजिएगा

16 mahajanapadas pdf in hindi | महाजनपद पीडीएफ | 16 महाजनपद pdf

छठी शताब्दी ईसा-पूर्व में बड़े आकार वाले 16 mahajanapadas (16 महाजनपदों )का वर्णन मिलता है, इनकी स्थिति विंध्य के उत्तर में तथा पूर्व दिशा में बिहार तक थी 

बौद्ध धर्म के ग्रंथ अंगुत्तर-निकाय में 16 महाजनपदों(16 mahajanapadas) का वर्णन है

16 महाजनपदों के नाम

16 mahajanapadas के नाम निम्न: हैं 

1.अंग

2.काशी

3.कोसल 

4.मगध

5.वज्जि 

6.चेदि

7.वत्स

8.कुरु 

9.मत्स्य

10.शूरसेन

11.अश्मक 

12.अवन्ति 

13.पांचाल 

14.गांधार

15.काम्बोज 

16.मल्ल 


16 महाजनपदों की राजधानी

16 महाजनपदों ( 16 mahajanapadas ) की राजधानी , वर्तमान स्थिति एवं उनके राजाओं के नाम निम्नलिखित हैं

महाजनपद राजधानी  वर्तमान-स्थिति  राजा 
 अंग चम्पा  बिहार का भागलपुर एवं मुंगेर क्षेत्र  ब्रह्मदत्त 
 काशी वाराणसी वाराणसी  
कोसल  श्रावस्ती/साकेत  उत्तर प्रदेश का पूर्वी भाग प्रसेनजित 
 मगध गिरीबज्र/पाटलिपुत्र  पटना,गया तथा शाहाबाद का क्षेत्र  बिम्बिसार एवं अजातशत्रु  
 वज्जि  वैशाली मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा क्षेत्र   
 चेदि शक्तिमति बुंदेलखंड क्षेत्र   
वत्स कौशांबी  प्रयागराज के आसपास का क्षेत्र  उदयन
 कुरु  इंद्रप्रस्थ  दिल्ली तथा मेरठ के आस-पास का क्षेत्र  इक्ष्वाकु
 मत्स्य विराटनगर  राजस्थान में जयपुर के आस-पास का क्षेत्र   
शूरसेन मथुरा  मथुरा के आस-पास का क्षेत्र   
अश्मक  पोतन  नर्मदा-गोदावरी के बीच का क्षेत्र   
अवन्ति  उज्जैन(अवंतिका)/महिष्मति मालवा क्षेत्र(मध्य-प्रदेश) चण्डप्रद्योत 
पांचाल  अहिच्छत्र/काम्पिल्य रुहेलखंड क्षेत्र   
गांधार तक्षशिला

पेशावर व रावलपिंडी के आस-पास का क्षेत्र -पाकिस्तान

 
काम्बोज हाटक  दक्षिण-पश्चिम कश्मीर एवं अफगानिस्तान क्षेत्र    
मल्ल  कुशीनारा/पावा   पूर्वी उत्तरप्रदेश   

 

16 महाजनपदों का वर्णन

16 mahajanapadas का वर्णन निम्न: हैं 

1.अंग

अंग महाजनपद चंपा नदी के किनारे स्थित था,चंपा नदी मगध  और अंग के बीच में बहती थी,अंग महाजनपद की राजधानी चम्पा थी 

2.काशी

 काशी की स्थिति वैशाली के पश्चिम दिशा में थी,काशी जनपद की राजधानी वाराणसी थी,ईसा पूर्व छठी शताब्दी में काशी सर्वाधिक शक्तिशाली था 

3.कोसल 

उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में कोसल महाजनपद स्थित था, श्रावस्ती कोसल महाजनपद की राजधानी थी,कपिलवस्तु कोसल में स्थित था,कपिलवस्तु में ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था  

दोस्तों Pdf डाउनलोड करने के लिए Post को अंत तक पढ़े

4.मगध

 यह एक प्रसिद्ध महाजनपद था,प्रारंभिक काल में  मगध की राजधानी गिरीबज्र थी,कालांतर में राजधानी पाटलिपुत्र हो गई

5.वज्जि

इसकी राजधानी वैशाली थी,यह आठ जनों का संघ था,इनमें लिच्छवी सबसे शक्तिशाली माने जाते थे,माना जाता है कि लिच्छवियों ने ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र स्थापित किया था,चेतक लिच्छवी गणराज्य के राजा थे 

6.चेदि

आज के बुंदेलखंड के आसपास का इलाका इस महाजनपद में शामिल था,शक्तिमति चेदि की राजधानी थी

 7.वत्स

वत्स की राजधानी कौशांबी थी ,यह महाजनपद यमुना के तट पर स्थित था

8.कुरु 

वर्तमान दिल्ली और उसके आसपास के इलाके कुरु महाजनपद के अंतर्गत थे ,कुरु महाजनपद की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी,हस्तिनापुर इसी महाजनपद में स्थित था,इक्ष्वाकु इसी महाजनपद का एक राजा हुआ

9.मत्स्य

यह कुरु के दक्षिण में अवस्थित था,मत्स्य महाजनपद की राजधानी विराटनगर थी

10.शूरसेन

शूरसेन यमुना तट पर स्थित था,शूरसेन की राजधानी मथुरा थी, इसके राजा अवन्तिपुत्र गौतम बुद्ध के समकालीन थे 

11.अश्मक 

गोदावरी के तट पर स्थित था,अश्मक की राजधानी पोतन थी,यहाँ के राजा इक्ष्वाकु वंश से संबंधित थे

12.अवन्ति 

यह मालवा में अवस्थित था,इसकी राजधानी उज्जैन तथा महिष्मति थी

13.पांचाल

वर्तमान रूप में रुहेलखंड और उसके आसपास के इलाके इस महाजनपद में आते थे जिसकी दो राजधानियां अहिच्छत्र एवं काम्पिल्य थी 

14.गांधार

गांधार की राजधानी तक्षशिला थी,गांधार महाजनपद वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर तथा रावलपिंडी जिलों में स्थित था

15.कांबोज 

कांबोज की राजधानी हाटक थी,कांबोज गांधार का पड़ोसी राज्य था 

16.मल्ल

मल्ल कोसल का पड़ोसी महाजनपद था, मल्ल महाजनपद की राजधानी कुशीनारा हुई,गौतम बुद्ध को महापरिनिर्वाण की प्राप्ति यही हुई थी,पावा मल्ल की एक और राजधानी थी 

PANDIT JI EDUCATION PDF STORE

मगध साम्राज्य की स्थापना

हर्यक वंश के राजा बिम्बिसार ने मगध साम्राज्य को स्थापित किया था

हर्यक वंश

(544 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व तक)

हर्यक वंश की स्थापना बिम्बिसार ने की 


बिम्बिसार

( 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व)

  • बिम्बिसार गौतम बुद्ध के  समकालीन था

  • बिम्बिसार को जैन साहित्य में श्रेणिक बोला गया

  • अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था

  • बिम्बिसार ने अंग पर विजय प्राप्त करने के पश्चात इसको अपने पुत्र अजातशत्रु के सुपुर्द कर दिया 

  • अवंति के राजा चंडप्रद्योत के पीलिया से पीड़ित होने पर बिम्बिसार ने अपने राजवैद्य जीवक(बिम्बिसार एवं लिच्छवी की आम्रपाली का पुत्र) को उज्जैन भेजा था 

  • चंडप्रद्योत  ने कालांतर में बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया था

  • मगध की प्रारंभिक राजधानी राजगीर(राजगृह,गिरीवज्र) थी 

  • बौद्ध ग्रंथों में बिम्बिसार का वर्णन मिलता है

  • विनयपिटक के अनुसार बिम्बिसार ने गौतम बुद्ध से मिलने के पश्चात बौद्ध धर्म स्वीकार किया,विनयपिटकानुसार बिम्बिसार ने वेलुवन उद्यान गौतम बुद्ध को समर्पित कर दिया था

  • बौद्ध एवं जैन ग्रंथ के अनुसार बिम्बिसार को पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना लिया था

  • बाद में बंदी अवस्था में ही बिम्बिसार की मृत्यु हो गई थी

अजातशत्रु

(492ईसा पूर्व- 476ईसा पूर्व)

  • बिम्बिसार के पश्चात अजातशत्रु मगध के सिंहासन पर काबिज हुआ ,कहा जाता है कि अजातशत्रु ने बिम्बिसार की हत्या करके सिहासन पर अपना अधिकार किया था 

  • अजातशत्रु को कुणिक कहा जाता था

  • अजातशत्रु ने कोसल को विजय किया था 

  • अजातशत्रु ने वैशाली के लिच्छवी राजा चेटक से हुए युद्ध में महाशिलाकंटक एवं रथमुशल का उपयोग कर जीत हासिल की

  • अजातशत्रु बौद्ध-धर्म तथा जैन-धर्म दोनों धर्मो से सम्बद्ध माना जाता है

  • प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन(राजगृह) अजातशत्रु के शासन काल में ही हुआ था 

उदायिन

(460 ईसा पूर्व से 444 ईसा पूर्व)

  • अजातशत्रु के बाद मगध के सिंहासन पर उदायिन बैठा 

  • उदायिन ने गंगा और सोन के संगम पर पटना(पाटलिपुत्र)में एक दुर्ग बनवाया

  • उदायिन ने मगध की राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दिया था 

हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदशक था 

 शिशुनाग वंश

(412 ईसा पूर्व से 344 ईसा पूर्व तक)

  • शिशुनाग वंश की स्थापना शिशुनाग(412 ईसा पूर्व से 394 ईसा पूर्व ) ने की थी

  • शिशुनाग ने राजधानी को पाटलिपुत्र से वैशाली स्थानांतरित कर दिया था 

  • शिशुनाग ने अवन्ति एवं वत्स के ऊपर विजय प्राप्त की थी

दोस्तों Pdf  डाउनलोड करने के लिए Post को अंत तक पढ़े

कालाशोक(काकवर्ण)

(394 ईसा पूर्व-366 ईसा पूर्व)   

  • कालाशोक ने राजधानी को वैशाली से पुनः पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दिया

  • कालाशोक के कार्यकाल में ही द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया 

  • कालाशोक ने 28 वर्ष तक शासन किया

  • बौद्ध संघ का दो संप्रदायों में विभाजन द्वितीय बौद्ध संगीति में ही हुआ था ,यह दो संप्रदाय क्रमश: स्थविर तथा महासंघिक कहलाए

  • हर्ष चरित्र जो कि बाणभट्ट की रचना है में कालाशोक की हत्या को वर्णित किया गया है इसके अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा छुरा मारकर कालाशोक की हत्या कर दी गई थी 

नन्दिवर्धन शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था 

 

नंद वंश(महापदम)

(344 ईसा पूर्व से 323 ईसा पूर्व तक)

नंद वंश की वंश की स्थापना महापद्मनंद(उग्रसेन) ने की थी, ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार महापद्मनंद शूद्र जाति से आते थे , नंद वंश में नौ राजा हुए इसलिए उन्हें नवनंद भी कहा जाता है 

नवनंद

1.उग्रसेन

2.पाण्डुक 

3.पण्डुगति 

4.भूतपाल 

5.राष्ट्रपाल 

6.गोविश्वक 

7.दाससिध्दक  

8.कैवर्त 

9.घनानंद 

 

महापद्मनंद(उग्रसेन)

  • महापद्मनंद ने कलिंग पर विजय प्राप्त की 

  • कलिंग से महापद्मनंद जिन की मूर्ति को मगध लेकर आए ऐसा उल्लेख  कलिंग नरेश खारवेल के हाथी गुफा अभिलेख में मिलता है 

  • महापद्मनंद ने ही कलिंग में सिंचाई के लिए नहर का निर्माण कराया था

  • महापद्मनंद ने एकराट उपाधि को धारण किया ,एकराट का  मतलब है ऐसा शासक जिसने अन्य सभी शासकों का विनाश कर दिया हो 

  • महापद्मनंद को क्षत्रियों का अंत करने वाला भी कहा जाता है

  • इसी वजह से महापद्मनंद को परशुराम के रूप में वर्णित किया जाता है 

  • महापद्मनंद के पास एक विशाल सेना थी जिसमें करीब 60000 घुड़सवार करीब 3000 हाथी,करीब 4000 रथ तथा 200000 की पैदल सेना थी , इतनी विशाल सेना के कारण ही अलेक्जेंडर नंद पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटा सका 

  • नंद-वंश जैन धर्म से सम्बद्ध माना जाता है 

  • व्याकरणाचार्य पाणिनि महापद्मनंद के मित्र थें 

  • पाणिनि ने अष्टाध्यायी की रचना की थी ,अष्टाध्यायी में 8 अध्याय तथा करीब 4000 सूत्र हैं 

अष्टाध्यायी में उल्लेखित कुछ प्रमुख जनपद निम्न है 

  • गांधार
  • अवन्ति
  • कम्बोज
  • कुरु
  • मद्र
  • कोसल
  • मगध
  • अश्मक
  • शूरसेन

घनानंद

(अग्रमीज(उग्रसेन-पुत्र))

(326 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व)

  • घनानंद आर्थिक रूप से बड़ा संपन्न था 
  • नंद वंश का अंत चंद्रगुप्त ने कौटिल्य की सहायता से घनानंद को  परास्त करके किया,इसके पश्चात चंद्रगुप्त ने मौर्य वंश की स्थापना की

pdf download ⇒ 16 mahajanapadas pdf in hindi

दोस्तों यद्यपि आर्टिकल को बड़ी सावधानीपूर्वक Deep Research करके तैयार किया गया है फिर भी हम आपसे गुजारिश करते है की यदि आप को कही कुछ तथ्य या लेखन त्रुटि पूर्ण लगता है तो कृपया आप हमें सूचित करे,हम त्वरित कार्रवाही करते हुए त्रुटि को सही करेंगे

धन्यवाद

यह भी पढ़े:-

 

पाषाण काल 

 

सिन्धु घाटी सभ्यता pdf 

WhatsApp Channel

Telegram Group

please read website Disclaimer carefully

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Home » Blog » 16 mahajanapadas | 16 महाजनपद | 16 महाजनपद PDF

16 mahajanapadas | 16 महाजनपद | 16 महाजनपद PDF

error: Please Share And Download From The Link Provided