क्रिया
आज के इस टॉपिक में हम क्रिया के बारे में विस्तृत रुप से अध्ययन करेंगे,यहाँ हम क्रिया की परिभाषा,क्रिया के कितने भेद होते हैं , kriya ke kitne bhed hote hain इत्यादि विषयों का अध्ययन करेंगे , अंत में आप क्रिया के कितने भेद होते हैं ( kriya ke kitne bhed hote hain ) PDF DOWNLOAD कर सकते हैं
क्रिया की परिभाषा
जिन शब्दों से किसी काम(कार्य) की क्या स्थिति है यह पता चलता है उन शब्दों को क्रिया कहते है,क्रिया विकारी है अतः क्रिया का रूप परिवर्तित होता रहता है,इस परिवर्तन के बारे में आगे चर्चा करेंगे,क्रिया को स्पष्ट रूप से समझने के लिए कुछ उदाहरण देखिए
उदाहरण 1:-
सचिन पढ़ रहा है
इस वाक्य में पढ़ रहा है , क्रिया है एवं “है” से क्रिया की स्थिति का पता चलता है
उदाहरण 2:-
सचिन गाता है
यहाँ गाता है क्रिया है , जो कि वर्तमान समय में की जा रही है
अगर वाक्य होता की सचिन पढ़ रहा था ,यहाँ पढ़ रहा था क्रिया है एवं था से पता चलता है की यह क्रिया भूत काल में हो रही थी
यहाँ एक बात और पता चलती है कि क्रिया वाक्य का अनिवार्य हिस्सा है बिना क्रिया के वाक्य का निर्माण नहीं हो सकता
कभी कभी क्रिया अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान रहती है पर इसका मतलब यह नहीं होता है की क्रिया मौजूद नहीं बल्कि क्रिया वहाँ छुपी रहती है
जैसे:-
1.बहुत स्वादिष्ट –यहाँ बहुत स्वादिष्ट से मतलब है की यह डिश/सब्ज़ी/खाना/पेय पदार्थ बहुत स्वादिष्ट हैं
2.अति उत्तम –यह काम अति उत्तम है
👉 क्रिया के रूप-लिंग,वचन एवं पुरुष के अनुसार बदलते रहते है,आगे हम इस बात
को उचित उदाहरणों की सहायता से समझेंगे
kriya ke kitne bhed hote hain , क्रिया के कितने भेद होते हैं के बारे में संपूर्णता से जानने के लिए पहले धातु क्या होती है यह जानना जरुरी हैं
धातु
क्रिया के मूल अंश को धातु कहते है ,इस मूल रूपों से ही विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ बनती है
उदाहरण:-
लिख
चल
सुन
देख
बैठ
पढ़
रो
धातु से निर्मित क्रियाएँ
लिख:- लिखना,लिखा,लिखूँगा,लिखूँगी,लिखता,लिखती आदि
चल:- चलना
सुन:- सुनना
देख:-देखना
बैठ:-बैठना
पढ़:-पढ़ना
रो:-रोना
सामान्य रूप से धातु के अंत में ना जोड़ने पर क्रिया का सामान्य रूप बन जाता है
उदाहरण:-
लिख = लिख + ना = लिखना
चल = चल + ना = चलना
सुन = सुन + ना = सुनना
देख = देख + ना =देखना
बैठ = बैठ + ना = बैठना
पढ़ = पढ़ + ना = पढ़ना
रो = रो + ना = रोना
मूल धातु
मूल धातु की पहचान कैसे करे यह भी एक उचित सवाल है
तो जानते है कि मूल धातु की पहचान कैसे की जाए
मूल धातुएँ आज्ञा-सूचक रूप में तू के साथ प्रयोग की जाती है
जैसे:-
तू पढ़
तू जा
तू सो
तू खा
तू भाग
तू गा
इत्यादि
धातु के भेद
सामान्यत: धातु 5 प्रकार की होती है
1.सामान्य (सरल)धातु :-
मूल धातु में ना प्रत्यय का प्रयोग कर बनाए गए रूप को सामान्य धातु कहते है
जैसे:-पढ़ + ना =पढ़ना
सो + ना = सोना
2.नाम धातु :-
संज्ञा,सर्वनाम या विशेषण में प्रत्यय का प्रयोग कर प्राप्त धातु के रूप को नाम धातु से सम्बोधित किया जाता है
👉 इस प्रकार की धातु में मुख्यतः आ प्रत्यय का उपयोग किया जाता है
संज्ञा में प्रत्यय का प्रयोग:-
हाथ:-हथियाना
लालच:-ललचाना
👉 सर्वनाम में प्रत्यय का प्रयोग:-
आप:-अपनाना
👉 विशेषण में प्रत्यय का प्रयोग:-
गर्म:-गर्माना
3.व्युत्पन्न धातुएँ:–
इस प्रकार की धातुएँ सामान्य या सरल धातुओं में प्रत्यय का प्रयोग कर निर्मित की जाती है
जैसे:-
सोना:-सुलवाना
कटना:-कटवाना
4.संमिश्र धातु:-
संज्ञा,विशेषण एवं क्रियाविशेषण के पश्चात “होना”,“करना”,”जाना”,”मारना” इत्यादि लगाकर प्राप्त धातु के रूप को संमिश्र धातु कहकर सम्बोधित किया जाता है
जैसे:-
“होना” लगाकर बने संमिश्र धातु रूप :-
छेद होना,काम होना
“आना” लगाकर बने संमिश्र धातु रूप :-
पढ़ना आना,पसंद आना
5.अनुकरणात्मक धातु:-
ध्वनि अनुकरण कर प्राप्त धातु को अनुकरणात्मक धातु कहते है
जैसे:-
टिंटिन:-टिंटिनाना
हीनहिन:-हिनहिनाना
चलिए अब kriya ke kitne bhed hote hain , क्रिया के कितने भेद होते हैं यह जान लेते है
क्रिया के भेद | क्रिया के प्रकार
वैसे तो क्रिया को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
1.मुख्य क्रिया
2.सहायक क्रिया
यहाँ हम मुख्य क्रिया के अंतर्गत आने वाले दो प्रकारों (अकर्मक एवं सकर्मक ) की चर्चा करेंगे
इन दोनों प्रकारों में जो भेद होता है वो कर्म के आधार पर होता है ,इसलिए अगर कहा जाये की कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं,तो कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है
जो क्रमशः अकर्मक एवं सकर्मक है
अकर्मक क्रिया
जहां क्रिया का फल सीधे सीधे कर्ता पर पड़ता है वहाँ अकर्मक क्रिया होती है
जैसे:-
1.मीनू हँसती है
2.शेर दहाड़ता है
यहाँ हँसने एवं दहाड़ने में कर्म की आवश्यकता नहीं है ,यहाँ क्रिया सीधे-सीधे कर्ता से जुड़ी है
इसको और समझने के लिए आप ध्यान दे की यहाँ वाक्य में क्या,किसको इत्यादि प्रश्नवाचक शब्दों का कोई स्थान नहीं बनता
यहाँ दिए गए वाक्य देख कर कोई यह नहीं पूछता की मीनू क्या हँसती है,या फिर शेर क्या दहाड़ता है इत्यादि
बस मीनू हँसती है तो हँसती है ,शेर दहाड़ता है तो दहाड़ता है
अब आगे सकर्मक क्रिया के बारे में पढ़ कर और clear हो जाएगा
सकर्मक क्रिया
जहां वाक्यों में क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है अर्थात् वाक्य में कर्म की उपस्थिति की अनिवार्यता होती है उन वाक्यों में सकर्मक क्रिया होती है
जैसे:
1.प्रशांत ने सब्ज़ी ख़रीदी:- अगर यहाँ केवल यह वाक्य होता की प्रशांत ने ख़रीदी
तो कोई पूछता क्या ख़रीदी?
इसलिए यहाँ प्रशांत ने सब्ज़ी ख़रीदी अपने आप में पूर्ण वाक्य है
सब्ज़ी के बिना क्रिया स्पष्ट अर्थ प्रदर्शित नहीं करती
इसलिए ख़रीदी एक सकर्मक क्रिया है
2.सचिन मैच देख रहा है
यहाँ अगर केवल होता की सचिन देख रहा है तो वाक्य अपूर्ण होता इसलिए सचिन मैच देख रहा है एक पूर्ण वाक्य है तथा सकर्मक क्रिया का उदाहरण है
अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया के भेद
सकर्मक क्रिया के भेद
अगर बात की जाये कि सकर्मक क्रिया के कितने भेद होते हैं तो सकर्मक क्रिया के तीन भेद है
क्रमशः
1.पूर्ण एककर्मक क्रिया:-यह क्रियाएँ कर्म के साथ मिलकर पूर्ण अर्थ प्रदान करती है
जैसे:-
रीता किताब पढ़ रही है
यहाँ क्रिया (पढ़ रही है) के किताब (कर्म) के साथ मिलकर पूर्ण अर्थ प्रदान करती है
एक कर्म होने के कारण इसको एककर्मक तथा पूर्ण अर्थ प्रदान करने के कारण इसको पूर्ण एककर्मक क्रिया कहते है
2.पूर्ण द्विकर्मक क्रिया:-
जो क्रियाएँ दो कर्मों के साथ जुड़कर पूर्ण अर्थ प्रदान करती है उन क्रियाओं को पूर्ण द्विकर्मक क्रिया कहते है
जैसे:-
रवि ने गाय को रोटी खिलायी
यहाँ खिलाई (क्रिया) के दो कर्म गाय एवं रोटी है
अब अगर बात मुख्य एवं गौण कर्म की की जाए तो जो कर्म क्रिया के समीप होता है तथा अजीव होता है उसको मुख्य कर्म तथा जो कर्म क्रिया से दूर होता है एवं सजीव होता है उसको गौण कर्म कहते है
यहाँ रोटी मुख्य कर्म है तथा गाय गौण कर्म है
3.अपूर्ण सकर्मक क्रिया:-
यहाँ क्रियाओं में कर्म होता है पर फिर भी वाक्य को पूर्ण अर्थ प्रदान करने के लिए पूरक की आवश्यकता होती है
उदाहरण के लिए:-
रवि सुंदर को समझदार मानता है
यहाँ (मानता है) क्रिया का (कर्म) सुंदर मौजूद है फिर भी समझदार(पूरक) के बिना अर्थ अपूर्ण रहता है
कुछ ऐसी क्रियाएँ जिसमें पूरक की उपस्थिति अनिवार्य होती है
मानना
समझना
दिखाना
चुनना
अकर्मक क्रिया के भेद
अगर बात की जाये कि अकर्मक क्रिया के कितने भेद होते हैं तो अकर्मक क्रिया के तीन भेद होते है
क्रमशः
1.अवस्थाबोधक/स्थित्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया:–ये क्रियाएँ स्थिर स्थिति में होती है तथा बिना कर्म/पूरक के भी पूर्ण अर्थ देती है
जैसे:-
रवि सो रहा है
भगवान है
2.गत्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया:-
यहाँ कर्ता गतिमान रहता है तथा ये क्रियाएँ बिना पूरक एवं कर्म के पूर्ण अर्थ प्रदान करती है
जैसे:-
मोहन पुणे जा रहा था
3.अपूर्ण अकर्मक क्रिया:-
इन क्रियाओं में पूरक की अनिवार्यता होती है
जैसे:-
रवि पेंटर बनेगा
यहाँ बनेगा क्रिया है एवं पेंटर पूरक है,दोनो मिलाकर पूर्ण अर्थ प्रदान करते है
क्रियाओं के दो मुख्य: भेद के अतिरिक्त 6 अन्य द्वितीयक(secondary) भेद भी होते है जो की
संरचना के अंतर्गत आते हैं
संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेद
अगर बात की जाये कि संरचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते हैं ,तो हम पाते है की संरचना की दृष्टि से क्रिया के 6 भेद होते है-संयुक्त क्रिया,प्रेरणार्थक क्रिया,पूर्वकालिक क्रिया,द्विकर्मक क्रिया,नामधातु क्रिया,सहायक क्रिया
क्रमशः
1.संयुक्त क्रिया
👉 दो या अधिक धातुओं से बनी क्रियाओं को संयुक्त क्रियाएँ कहा जाता है
जैसे:-
1.मोहन को जाने दो
2.मुझको खाना खाने दो
यहाँ पहले उदाहरण में जाना और देना ,दो अलग अलग क्रियाएँ है तथा दूसरे उदाहरण में खाना एवं देना,दो अलग अलग क्रियाएँ है
2.प्रेरणार्थक क्रिया
👉 जहां कर्ता स्वयं कार्य ना कर किसी दूसरे को प्रेरित करके उस कार्य को करवाए वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है
स्वाभाविक रूप से यहाँ दो कर्ता होते है जिनमे से एक प्रेरक तथा दूसरा प्रेरित कर्ता होता है
जैसे:-
हमने हलवाई से बर्फ़ी बनवाई
प्रेरणार्थक क्रिया के भेद
प्रेरणार्थक क्रिया के दो भेद होते है
1.प्रथम प्रेरणार्थक:-
👉 यहाँ कर्ता भी कार्य में शामिल रहता है
जैसे:-
मोहन सबको गीत सुनाता है
गाइड सबको प्राचीन स्मारक दिखाता है
2.द्वितीय प्रेरणार्थक:-
👉 यहाँ कर्ता स्वयं कार्य ना कर दूसरे को कार्य करने को प्रेरित करता है
जैसे:-रवि मोहन से सोहन को पिटवाता है
3.पूर्वकालिक क्रिया
👉 जिन क्रियाओं से पहले भी कोई और क्रिया आए तो वहाँ पूर्वकालिक क्रियाएँ होती है
जैसे:-
मोहन खाना खा कर सो गया
4.द्विकर्मक क्रिया
👉 जहाँ दो कर्म होते है वहाँ द्विकर्मक क्रिया की उपस्थित होती है
जैसे:-
मोहन ने रवि को रोटी दी
यहाँ रवि और रोटी दो कर्म है
इसलिए यहाँ द्विकर्मक क्रिया उपस्थित है
5.नामधातु क्रिया
👉 जहाँ क्रिया संज्ञा या विशेषण से निर्मित होती है वहाँ नामधातु क्रिया होती है
जैसे:-
हथियाना:- हाथ से निर्मित
गर्माना:- गर्म से निर्मित
6.सहायक क्रिया
👉 सामान्यतः हर वाक्य में शामिल होती है एवं वाक्य के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करती है
जैसे:-
मोहन घर जाता है
यहाँ जाना मुख्य: क्रिया है एवं “है” सहायक क्रिया है जो वाक्य के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करती है
👉👉 क्रियाओं का सकर्मक या अकर्मक होना उनको कैसे प्रयोग किया जाता है इस पर निर्भर करता है ,इसको निम्न: उदाहरण से समझा जा सकता है
खेलना क्रिया का सकर्मक एवं अकर्मक दोनो तरीक़ों से प्रयोग:-
रवि रोज़ खेलता है——-(अकर्मक)
रवि रोज़ क्रिकेट खेलता है—-(सकर्मक)
असमापिका एवं समापिका क्रिया:-
असमापिका क्रिया
👉 जो क्रियाएँ वाक्य के अंत की बजाय कही और उपस्थित रहती है उन क्रियाओं को असमापिका क्रियाएँ कहते है
जैसे:-गाने पर नाचता हुआ हीरो कितना मनमोहक है
यहाँ नाचता हुआ क्रिया है जो की असमापिका क्रिया का उदाहरण है
समापिका क्रिया
👉 जो क्रियाएँ वाक्य के अंत में उपस्थित रहती है उन क्रियाओं को समापिका क्रियाएँ कहते है
जैसे:-
मोहन मैदान में खेलता है
यहाँ खेलता है क्रिया है जो की वाक्य के अंत में प्रयोग हो रही है इसलिए यह एक समापिका क्रिया है
क्रिया रूपांतरण | सहायक क्रिया
जैसे की हमने इस शुरुआत में बताया था,की क्रिया विकारी होती है इसलिए इसके रूप परिवर्तन होता रहता है जो की 5 आधारों पर होता है,ये 5 प्रकार ही सहायक क्रिया के अंतर्गत आते हैं
क्रमशः
1.अर्थ/भाव
2.वाच्य
3.अव्यय
4.काल
5.निपात
1.अर्थ | भाव
क्रिया के जिस प्रकार से भाव का परिचय मिलता है उसे भाव अथवा अर्थ कहते है ,अगर कहा जाये की अर्थ के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते है ,तो हम पाते है की अर्थ के आधार पर क्रिया के तीन प्रकार होते है
क्रमशः
A.आज्ञार्थ
B.सम्भावनार्थ
C.निश्चयार्थ
A.आज्ञार्थ:-
क्रिया के जिस रूप से आज्ञा/ प्रार्थना आदि का पता चलता है उसे आज्ञार्थ कहा जाता है
जैसे:-
1.यहाँ से जाओ
2 .जल्दी से खाना लाओ
2.निश्चयार्थ
जब क्रिया से कोई बात निश्चित रूप से पता चलती है तब वो क्रिया निश्चयार्थ कहलाती है
जैसे:-
मोहन खेलता है
3.सम्भावनार्थ
जब क्रिया के किसी रूप से कोई संभावना ,कोई इच्छा आदि का पता चलता है तो क्रिया का यह रूप सम्भावनार्थ कहते है
जैसे:-
1.काश मैं करोड़पति होता
2.शायद यह कार मोहन की है
2.वाच्य
जब क्रिया से कर्ता,कर्म या फिर भाव में से किस की प्रधानता है इस बात का पता चलता है तो उसको वाच्य कहते है
वाच्य भी तीन प्रकार के होते है
A कर्तवाच्य:-
जब क्रिया का रूप कर्ता के अनुसार होता है तब वहाँ कर्तवाच्य होता है
जैसे:-
मोहन चिट्ठी लिखता है { यहाँ लिखता है ,कर्ता(मोहन) के अनुसार
है}
मीनू चिट्ठी लिखती है { यहाँ लिखती है ,कर्ता(मीनू) के अनुसार है }
a.सकर्मक कर्तवाच्य– मोहन अख़बार पढ़ता है
b.अकर्मक कर्तवाच्य–मोहन सोता है
B.कर्मवाच्य:-
जब क्रिया का रूप कर्म के अनुसार होता है तब वहाँ कर्मवाच्य होता है
जैसे:-
1.मोहन द्वारा दही खाई जाती है–यहाँ खाई जाती है क्रिया का सीधा सीधा सम्बंध दही(कर्म)से है
एक और उदाहरण से समझते है
2.मोहन द्वारा पत्र लिखा जाता है –यहाँ लिखा जाता है क्रिया का सीधा सीधा सम्बंध पत्र से है पत्र ने ही क्रिया के लिंग का निर्धारण किया है,अगर यहाँ पत्र की जगह चिट्ठी होती तो फिर वाक्य होता कि मोहन द्वारा चिट्ठी लिखी गयी
C.भाववाच्य:-
जब क्रिया का रूप भाव के अनुसार होता है तब वहाँ भाववाच्य होता है
जैसे:-
1.खाया नहीं जाता
2.गाया नहीं जाता
यहाँ भाव प्रधान है इसलिए भाव वाच्य है
3.अव्यय
जो व्यय ना हो उसको अव्यय कहते है,अव्यय अविकारी होता है,अविकारी का मतलब यह होता है की इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है
अव्यय चार प्रकार के होते है
1.क्रिया विशेषण:-
जो अव्यय क्रिया की विशेषता प्रदर्शित करते है उनको क्रिया विशेषण कहते है
जैसे:-
तेज चलो
यहाँ तेज,क्रिया विशेषण है जो कि चलो क्रिया की विशेषता बताता है
यहाँ एक बार और गौर करने की है की क्रिया विशेषण के भी चार प्रकार होते है
क्रमशः
जिन क्रिया विशेषण से क्रिया में स्थान/दिशा सम्बन्धी विशेषता उत्पन्न हो वहाँ स्थानवाचक क्रिया विशेषण होता है
जैसे:-
यहाँ आओ
वहाँ जाओ
इधर देखो
उधर देखो
दायें मुड़ो
b.कालवाचक:-
जिन क्रिया विशेषण से क्रिया में समय सम्बन्धी विशेषता उत्पन्न हो वहाँ कालवाचक क्रिया विशेषण होता है
जैसे:-
अभी चलो
शीघ्र चलो
कल आना
परसों जाना
जिन क्रिया विशेषण से क्रिया में परिमाण सम्बन्धी विशेषता उत्पन्न हो वहाँ परिमाणवाचक क्रिया विशेषण होता है
जैसे:-
थोड़ा खाओ
कम खाओ
ज़्यादा घूमो
कम बोलो
d.रीतिवाचक:-
जिन क्रिया-विशेषण से क्रिया में रीति सम्बन्धी विशेषता उत्पन्न हो वहाँ रीतिवाचक क्रिया-विशेषण होता है
जैसे:-
फटाफट चलो
कैसे किया ?
अवश्य जाओ
निश्चित आओ
सच बोलो
झूठ बोला
2.सम्बंधबोधक अव्यय:-
जिन अव्ययों से संज्ञा,सर्वनाम का सम्बंध वाक्य के दूसरे शब्दों से स्थापित होता है उनको सम्बंधबोधक अव्यय कहते है
जैसे:-
1.मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूँ
2.मैं रवि के बिना दिल्ली नहीं जाऊँगा
सम्बंधबोधक अव्यय के प्रकार
सम्बंधबोधक अव्यय तीन प्रकार के होते है जो तीन आधारों पर विभक्त है
A.अर्थ के आधार पर
B .प्रयोग के आधार पर
C .रूप के आधार पर
3.समुच्चयबोधक अव्यय:-
जो अव्यय वाक्यों को जोड़ते है उनको समुच्चयबोधक अव्यय कहते है
जैसे:-
रवि और मोहन दिल्ली जाते है
यहाँ “और” रवि तथा मोहन को जोड़ता है
समुच्चयबोधक अव्यय के दो प्रकार है
A.व्याधिकरण
B.समानाधिकरण
4.विस्मयादिबोधक अव्यय:-
जिन अव्ययों से विस्मय , शोक ,लज्जा इत्यादि भाव उजागर होते है ऐसे अव्यय विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाते है
जैसे:-
वाह!
अरे!
बाप रे!
धत!
4.काल
क्रिया के जिस रूप से कार्य के करने का समय,कार्य की स्थिति उसकी पूर्णता,अपूर्णता का पता चलता है उस रूप को काल कहते हैं
काल तीन प्रकार के होते है-1.वर्तमान काल,2.भूतकाल,3.भविष्यकाल
1.वर्तमान काल
वर्तमान समय में कार्य की स्थिति का पता चलता है
वर्तमान काल को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है
1.सामान्य वर्तमान
क्रिया का वर्तमान काल में होना
जैसे:-
रवि खेलता है
मोहन पढ़ता है
2.संदिग्ध वर्तमान
जब क्रिया के वर्तमान काल में होने पर संदेह हो तब वहाँ संदिग्ध वर्तमान होता है
जैसे:-
मीनू खाना बनाती होगी
मोहन खेलता होगा
3.अपूर्ण वर्तमान
जब वर्तमान काल में क्रिया की अपूर्णता का पता चलता है तब वहाँ अपूर्ण वर्तमान काल होता है
जैसे:-
मीनू खाना बना रही है
मोहन पढ़ रहा है
2.भूतकाल
जब क्रिया के रूप से कार्य के पूरा होने के समय का पता चलता है तब वहाँ भूतकाल होता है
जैसे:-
ट्रेन चली गयी
आगे हम भूतकाल के प्रकारों को देखते है
भूतकाल 6 प्रकार का होता है
1.सामान्य भूतकाल
जब घटना सामान्यतः भूतकाल में घटी हो पर उसके घटने का समय बताया ना जा सके
जैसे:-
मीरा आई
मोहन आया
2.आसन्न भूतकाल
जब कार्य अभी-अभी समाप्त हुआ हो
जैसे:-
रवि खाना खा चुका है
मोहन जा चुका है
3.अपूर्ण भूतकाल
जब यह तो पता चलता हो की कार्य भूतकाल में हो रहा था पर उसकी समाप्ति कब हुई यह पता ना चले तब वहाँ अपूर्ण भूतकाल होता है
जैसे:-
वर्षा हो रही थी
4.संदिग्ध भूतकाल
जब संदेह बना रहे की कार्य पूरा हुआ या नहीं तब वहाँ संदिग्ध भूतकाल होता है
जैसे:-
मोहन ने खाना खाया होगा
रवि ने गाया होगा
5.पूर्ण भूतकाल
जब कार्य के पूरा होने का पता निश्चित रूप से चलता है तब वहाँ पूर्ण भूतकाल होता है
जैसे:-
मोहन जा चुका है
वर्षा रुक चुकी है
रवि खाना खा चुका है
6.हेतुहेतुमदभूत
भूतकाल में होने वाली क्रिया जो हो ना सकी
जैसे:-
अगर राम ठीक से अभ्यास करता तो ज़रूर गोल्ड मेडल जीत लेता
3.भविष्यकाल
जब कार्य के भविष्य में होने का पता चले
भविष्यकाल के प्रकार
A.सामान्य भविष्यकाल
जब कार्य के सामान्यतः भविष्य में होने का पता चले
जैसे:-
मोहन खाना खाएगा
रवि दिल्ली जाएगा
B .संभाव्य भविष्यकाल
जब कार्य के भविष्य में होने की संभावना हो
जैसे:-
संभवतया रवि काल दिल्ली जाएगा
संभवतया मोहन कल मुझे मिलने मेरे घर आएगा
C.हेतुहेतुमद भविष्यत्
जब भविष्य में किसी कार्य का होना किसी और कार्य के होने पर निर्भर करता हो
जैसे:-
अगर मोहन कल मेरे घर आएगा तो मैं भी परसों मोहन के घर जाऊँगा
5.निपात
इनका प्रयोग होने पर वाक्य को सुनने पर किसी बात का अंदाज़ा सा लगता है,तथा निपात किसी बात को बल भी प्रदान करते है
जैसे:-
A.मोहन ने सारे सवाल क़रीब-क़रीब हल कर ही लिए है
B.काम तक़रीबन हो गया है
चलिए अब क्रिया से सम्बंधित कुछ Questions पर नजर डाल लेते हैं
Question:- क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-क्रिया को मुख्यत: दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है
1.मुख्य क्रिया-दो मुख्य प्रकार (अकर्मक एवं सकर्मक) एवं 6 द्वितीयक प्रकार (संयुक्त क्रिया,प्रेरणार्थक क्रिया,पूर्वकालिक क्रिया,द्विकर्मक क्रिया,नामधातु क्रिया,सहायक क्रिया)
2.सहायक क्रिया-मुख्यत: 5 प्रकारों (अर्थ,वाच्य,अव्यय,काल,निपात) में विभाजित
Question:-सकर्मक क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-सकर्मक क्रिया के तीन भेद है
Question:-संरचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते हैं?
Answer:-संरचना की दृष्टि से क्रिया के 6 भेद होते है-संयुक्त क्रिया,प्रेरणार्थक क्रिया,पूर्वकालिक क्रिया,द्विकर्मक क्रिया,नामधातु क्रिया,सहायक क्रिया
Question:-प्रेरणार्थक क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-प्रेरणार्थक क्रिया के दो भेद होते है
Question:-अकर्मक क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-अकर्मक क्रिया के तीन भेद होते है-अवस्थाबोधक/स्थित्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया,गत्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया,अपूर्ण अकर्मक क्रिया
Question:-कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है -अकर्मक एवं सकर्मक
Question:-अर्थ के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-अर्थ के आधार पर क्रिया के तीन प्रकार होते है-आज्ञार्थ,सम्भावनार्थ,निश्चयार्थ
Question:-काल के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
Answer:-काल के आधार पर क्रिया के तीन प्रकार होते है-1.वर्तमान,2.भूत,3.भविष्य
Conclusion | निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने क्रिया के कितने भेद होते है , kriya ke kitne bhed hote hai टॉपिक का एक बहुत ही विस्तृत अध्ययन किया है ,दोस्तों उम्मीद है की इस आर्टिकल को पढने के बाद आप क्रिया के भेद , सकर्मक क्रिया ,अकर्मक क्रिया , धातु , काल इत्यादि से बखूबी परिचित हो गए होंगे
दोस्तों यद्यपि आर्टिकल को बड़ी सावधानीपूर्वक Deep Research करके तैयार किया गया है फिर भी हम आपसे गुजारिश करते है की यदि आप को कही कुछ तथ्य या लेखन त्रुटि पूर्ण लगता है तो कृपया आप हमें सूचित करे,हम त्वरित कार्रवाही करते हुए त्रुटि को सही करेंगे
धन्यवाद
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