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Rich dad poor dad in Hindi pdf

Rich dad poor dad in Hindi pdf डाउनलोड कैसे करे इस बारे में बात करने से पहले हम इस बुक के बारे में विस्तृत रूप से बात करते है

लेखक रॉबर्ट टी. कियोसाकी की किताब रिच डैड पुअर डैड वह किताब है जिसने बहुत से लोगो की जिंदगी में चमत्कारी परिवर्तन लाया है | आज हम Rich Dad poor Dad book review in Hindi करेंगे, इस बुक में दी गयी सभी जानकारिया बहुत ही प्रैक्टिकल और लाइफ चेंजिंग हैं।अगर आप  अमीर बनना चाहते हैं? पर आपको नहीं पता कैसे तो इस पेचीदा से मसले को आसानी से समझाने की बेहद शानदार कोशिश है  ‘रिच डैड, पुअर डैड’  रॉबर्ट टी. कियोसाकी की यह बेस्टसेलर बुक, शिक्षा, सफलता और समृद्धि की परंपरागत परिभाषाओं से हटकर एक दम नए तरह के विचार बेहद दिलचस्प ढंग से पेश करती है। इस बुक में बताया गया है, कि अमीर लोग ऐसा क्या करते हैं की जो वो और भी ज्यादा अमीर बनते जाते हैं और गरीब लोग ऐसा क्या करते हैं जिससे वो गरीब ही रह जाते हैं।

Rich dad poor dad in Hindi pdf डाउनलोड करने  बारे में जानने के लिए पोस्ट को अंत तक पढ़ियेगा 

रॉबर्ट टी. कियोसाकी

रॉबर्ट टी. कियोसाकी एक उद्यमी, निवेशक, लेखक और एक प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता है , रॉबर्ट टी. कियोसाकी का विचार है कि आज अधिकांश लोग आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं, इसका कारण यह है कि औपचारिक शिक्षा और औपचारिक प्रशिक्षण में वर्षो देने के  बावजूद, उन्हें पैसे के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं होता । रिच डैड पुअर डैड बुक एक बड़ी ख़ास बुक है जो कि सभी समय की नंबर वन बुक है। किताब का पूरा मसौदा रॉबर्ट के दो डैडियों यानी रिच डैड और पुअर डैड के बारे में है। इनमें एक रॉबर्ट के जैविक पिता हैं, जिन्हें वह पुअर डैड कहते हैं। वह रॉबर्ट को सिखाते हैं कि जीवन चलाने के लिए पैसा जरूरी है और पैसा कमाने के लिए हमें काम करना होता है। जबकि रॉबर्ट के दूसरे डैड यानी रिच डैड असल में उनके बचपन के दोस्त माइक के पिता हैं। उनका मानना है कि वह पैसे के लिए काम नहीं करते, बल्कि पैसा उनके लिए काम करता है। उनके विचारों से प्रभावित होकर रॉबर्ट उन्हें अपना डैड मानने लगते हैं और बचपन से उनसे अमीर बनने के सूत्र जानने की कोशिश करते रहते हैं। 9 साल की उम्र से शुरू हुआ यह प्रशिक्षण 30 बरसों तक चलता है। रॉबर्ट को 6 बेहद अहम सबक हासिल होते हैं, जिन्हें वह बहुत प्रभावी तरीके से इस किताब के जरिए आप तक पहुंचाते हैं।किताब का तर्क है कि हमारी शिक्षा हमसे विकल्प चुनने का अधिकार छीन लेती है। हम वही बन पाते हैं, जो हमने पढ़ा है। पैसे के लिए काम करने के बजाए, पैसे से अपने लिए काम कराना इसका दूसरा क्रांतिकारी विचार है। यह हमें बताता है कि अमीर लोग किस तरह से ऐसेट से ऐसेट बनाने में सफल होते हैं।मध्यवर्गीय लोग किन कारणों से सारी जिंदगी कम आमदनी की शिकायतों से घिरे रहते हैं, इस पर भी पुस्तक में नए अंदाज में रोशनी डाली है। यह ऐसी दुखती रग है, जो हर किसी को कभी न कभी सताती है। ऐसे में किताब पाठक से बड़ी आसानी से जुड़ जाती है। इसी से यह बेस्ट सेलर की कतार में सबसे आगे आकर खड़ी हो जाती है। रिच डैड पुअर डैड हमें बहुत सी चीजों के लिए प्रेरित करती है। पैसे से पैसा बनाना सीखना बड़ा हुनर है जो यह किताब हमें देती है।तो शुरुआत कैसे करनी चाहिए। लेखक ने किताब में यह भी सुझाया है। रॉबर्ट यह भी समझाते हैं कि बेकार के कार्यकलाप बंद करके नए विचारों की तलाश कीजिए। इतिहास से सीखकर आगे बढ़ा जाता है। किताब का लब्बोलुआब यह है कि पैसा एक विचार है और पैसा कमाना है तो अपने विचार बदल लीजिए

रॉबर्ट टी. कियोसाकी की दूसरी चर्चित किताबों में ‘द बिजनेस स्कूल फॉर पीपल, हू लाइक टू हेल्पिंग पीपल, ‘व्हाय रिच आर गेटिंग रिचर’ ,’द बिजनेस ऑफ द ट्वेंटी सेंचुरी’, प्रमुख रूप से शामिल हैं।

तो चलिए Rich dad poor dad  बुक के कुछ ख़ास -ख़ास पॉइंट्स से रूबरू होते है 

एक्सपीरियंस की इम्पोर्टेंस

रिच डैड पुअर डैड किताब में रॉबर्ट टी. कियोसाकी अपने डैड को पुअर डैड कह कर बुलाते हैं क्योंकि वह हमेशा उन्हें स्कूल में अच्छे नंबर लाने को कहते थे ताकि डिग्री मिलने के बाद उन्हें कोई अच्छी सी नौकरी मिल सके। लेकिन रॉबर्ट के दोस्त के डैड जिन्हें वह किताब मैं रिच डैड कह कर बुलाते हैं ,समझाते है की अगर यह समझ जाए कि पैसा असल में किस तरह काम करता है तो कभी भी पैसों की तंगी नहीं रहेगी 

शुरू में रॉबर्ट ने Xerox कंपनी के लिए काम किया ,उस समय Xerox कंपनी अच्छे सैलिंग प्रोग्राम के लिए काफी फेमस थी ,रॉबर्ट जानते थे कि कामयाब होने के लिए चीजों को बेचने की कला सीखना बहुत जरूरी है इस तरह वह प्रैक्टिकल लर्निंग की मदद से कंपनी के सबसे अच्छे सेल्स पर्सन में से एक बन गए और उस कंपनी से जरूरी एक्सपीरियंस पा लेने के बाद उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया

यहां पर हमारे सीखने लायक बात यह है कि हमें सिर्फ कॉलेज की डिग्री लेना काफी नहीं है ,कामयाब होने के लिए आपको साहसी बनकर सीधा मैदान में उतरना पड़ता है और वहां से व्यावहारिक चीजें सीख कर सफल हुआ जा सकता है 

SELF पेमेंट 

रॉबर्ट कहते हैं कि ज्यादातर लोग अपनी सैलरी मिलने से पहले ही उसे पूरी तरह खर्च करने के रास्ते ढूंढ लेते हैं और फिर भी ज्यादातर समय उनके खर्चे पूरे ही नहीं हो पाते हैं इन सबके बीच में सेविंग तो बहुत दूर की बात है। इसलिए जब भी आप को सैलरी मिलती है तो आप उसका 10% अपने पास अलग रख लो इस 10% को आप सेल्फ पेमेंट की तरह समझो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप इन पैसों को अपनी मर्जी से कहीं भी उड़ा दो, इसके बजाय आपको इन पैसों को कुछ ऐसे इन्वेस्टमेंट में लगाना चाहिए जो आपके लिए एक पैसिव इनकम का कार्य करेगा। पैसा कमाने का मतलब सिर्फ उसे खर्च करना नहीं बल्कि फाइनेंशली इंडिपेंडेंट होना चाहिए अगर आप फाइनेंशली इंडिपेंडेंट बनना चाहते हो तो आपको सबसे पहले खुद को पे करने की आदत को अपनाना चाहिए।

रास्ते तलाशों

बचपन में रॉबर्ट के पुअर डैड उन्हें अक्सर यह कहते थे कि अपनी जरूरतों को उतना ही रखो जितना की आप की हैसियत हो लेकिन उनके रिच डैड ने उन्हें  सिखाया कि अपनी जरूरतों के हिसाब से अपनी हैसियत को बढ़ाना सीखो

रिच डैड ने यह बात इसलिए कही थी कि क्योंकि जब आप भी यह मान लेते हो कि आप कोई चीज नहीं पा सकते हो तो आपका दिमाग भी यह मान लेता है और उस चीज को पाने का तरीका क्या है यह  सोचना बंद कर देता है लेकिन जब आप खुद से पूछते हो कि आप उस चीज को कैसे पा सकते हो तो आपका दिमाग उस चीज को पाने के नए रास्ते ढूंढने लगता है इस तरह के सवाल आपके दिमाग को जवाब ढूंढने के लिए मजबूर करते है।

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फाइनेंशियल स्मार्टनेस

चाहे आपके पास कितने ही पैसे हो अगर आपके पास फाइनेंशियल होशियारी नहीं है तो आपके सारे पैसे बहुत जल्द ही खत्म हो जाएंगे ,कई लोगों को लगता है कि अमीर बनने के लिए ज्यादा पैसा कमाना ही एक मात्र रास्ता है पर यह बात पूरी तरह से सच नहीं है ,जिन लोगों के पास फाइनेंशली इंटेलिजेंस की कमी होती है वह चाहे जितने भी पैसे कमा ले हमेशा गरीब ही रहते हैं। अगर आप अमीर बनना चाहते हो तो आपको फाइनेंस को मैनेज करना आना चाहिए आपको पता होना चाहिए की पैसा कैसे काम करता है ,आपके current फाइनेंस सिस्टम के बारे में अवेयर होना जरुरी है, रिच डैड कहते हैं, पैसे की समझ विकसित करें। किताब उन लोगों का उदाहरण देती है जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करके अपार दौलत कमा गए, लेकिन पैसे की समझ न होने से कुछ ही समय बाद गरीब हो गए। यानी असल मसला यह नहीं कि आप कितना कमा पाते हैं, बल्कि यह है कि कितना पैसा बचा पाते हैं। पैसे को सब समस्याओं का हल मानने के बजाय लचीला होना, सीखना और दिमाग खुला रखना ज्यादा जरूरी है। रॉबर्ट का मानना है कि लोगों में वित्तीय ज्ञान की कमी का कारण है मौजूदा एजुकेशन सिस्टम रॉबर्ट ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि स्कूलों में कभी भी वित्तीय ज्ञान नहीं दी जाता स्कूल लोगों को प्रोफेशनल नॉलेज देता है पर यह कभी भी उन्हें अपना फाइनेंस हैंडल करने की प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं देता अगर आप फाइनेंशली इंडिपेंडेंट बनना चाहते हो तो उसके लिए आपको अपने अंदर फाइनेंशली इंटेलिजेंस डेवलप करने की जरूरत है,इस किताब को पढ़ने के बाद पहला विचार यही आता है कि हमारे अपने जीवन में ये सिद्धांत कितने व्यावहारिक हैं और क्या हम इन पर अमल करने का जोखिम उठा सकते हैं। जोखिम इसलिए कि यह हमारे समाज और परिवेश में व्याप्त बहुत सी स्थापित मान्यताओं को ध्वस्त करती है। पहली तो यही कि पढ़ाई में बहुत अच्छे नंबर लाकर अच्छी नौकरी पाने की परंपरागत सोच को यह सिरे से खारिज कर देती है। किताब का पूरा जोर पढ़ने से ज्यादा सीखने को अहमियत देने पर है। यानी यह एजुकेशन के खिलाफ नहीं है, लेकिन उसके तरीके को पुराना जरुर मानती है।

टैक्स गेम 

रिच डैड टैक्स की History के बारे में बताते हुए कहते है की टैक्स शुरुवात में अमीर और गरीब के बीच में भेद को खत्म करने के लिए बनाया गया एक टूल था । शुरुवात में सिर्फ अमीर लोगों के उपर ही टैक्स लगता था और टैक्स के उन पैसों को गरीबों की सुविधाओ पर खर्च किया जाता था।

लेकिन समय के साथ धीरे धीरे मिडल क्लास और अपर मिडल क्लास लोगों के उपर भी टैक्स लगना शुरू हुआ। और आज की बात करे तो यह मामला पूरी तरह से उलटा हो चुका है। क्योंकि अमीर लोग अपने दिमाग और चालाकी का इस्तमाल करके खुद को टैक्स देने से बचा लेते है। और सरकार के खाते में जो टैक्स जमा होता है, वह सिर्फ मिडल क्लास और अपर मिडल क्लास लोगो के द्वारा ही जमा किया जाता है।

बड़े बिजनेस मैन और उद्योगपति पहले पैसा कमाते है और उसके बाद उस पैसे से अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं और बाद में जो कुछ भी थोड़ा सा हिस्सा रहता है, उससे वो टैक्स पे करते हैं। वही मिडिल क्लास से आने वाले लोग पैसा कमाने के साथ ही टैक्स देते  हैं और टैक्स देने के बाद जो कुछ बचता है, उसी से अपने लिए कुछ कर पाते है 

Liability  और Assets

रॉबर्ट Liability  और Assets के बीच का अंतर बताते हैं की कोई भी चीज जो आपके जेब से पैसे निकलवाए वह Liability है और वह चीज जो आपकी जेब में पैसे डाले हैं वह Asset है ,रॉबर्ट आगे बताते हैं कि कई सारे लोग वित्तीय ज्ञान की कमी की वजह से asset की जगह liability खरीदते हैं यह लोग महंगे घर, और गाड़ियां लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट समझकर खरीदते हैं भले ही यह चीजें उनके नेटवर्थ से जुड़ जाए लेकिन यह asset नहीं है क्योंकि यह चीजें उनकी जेब से पैसे निकलवाती है ना कि उनकी जेब में पैसे डालती है। यहाँ बात घर की भी हो रही है रोबर्ट कहते हैं कि अगर आपका घर आपकी जेब में पैसे नहीं डाल रहा है तो वह एक liability है asset नहीं है लेकिन अगर आपके घर से आपको किराया आ रहा है तो वह घर आपका asset है ,आम लोग विलासिता की चीजें सबसे पहले खरीदते हैं, जबकि अमीर सबसे बाद में। उनके कहने का मतलब है कि जब भी आपके पास एक रुपया अतिरिक्त हो तो उसे विलासिता पर खर्च करने के बजाए अपने सम्पत्ति वाले कॉलम में डालें। इससे वह आपके लिए कमाना शुरू कर देगा। और जब वह बहुत कमा लेगा तब आप अपनी पसंद की वह चीज खरीद लेंगे।इसके अलावा जो हम liability खरीदते हैं और टाइम के साथ इनकी वैल्यू भी कम होती जाती है। इसलिए अमीर आदमी हमेशा अपने पैसों का asset मैं निवेश करते हैं जैसे कोई इंडिविजुअल प्रॉपर्टी, बिजनेस, रियल एस्टेट,स्टॉक्स इत्यादि जबकि आम आदमी हमेशा अपने पैसों को liability खरीदने के लिए खर्च कर देता है ,ऐसेट को शब्दों से नहीं, अंकों से पढ़ा जाता है। अमीर बनने के लिए यह समझना जरूरी है। अमीर लोग ऐसेट इकट्ठा करते हैं और गरीब या मध्य वर्ग के लोग लायबिलिटी

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अगर आप फाइनेंशली इंडिपेंडेंट बनना चाहते हो तो आपको अपनी liability कम कर देना चाहिए और asset को बढ़ाना चाहिए, ऐसेट और लायबिलिटी का फर्क समझाने के लिए रिच डैड आसान रेखाचित्रों का इस्तेमाल करते हैं। इनसे ऐसेट के कैश फ्लो पैटर्न और लायबिलिटी के कैश फ्लो पैटर्न समझना बच्चों का खेल हो जाता है। यह पैटर्न बताता है कि ऐसेट जेब में पैसे डालती है और लायबिलिटी पैसे निकालती है। सामान्य लोग इसे आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब कहते हैं, लेकिन अमीर लोग इसे ऐसेट और लायबिलिटी का लेखा-जोखा कहते हैं। वे ऐसेट वाले कॉलम को बढ़ाते जाने को प्राथमिकता देते हैं।

SPEND MONEY SMARTLY

आप उस व्यक्ति के क्या कहेंगे जो अपने उन employees को नौकरी से फायर कर देता है जो उसके लिए लगातार मेहनत करते हैं और उसको काफी मुनाफा भी कमा कर देते हैं, आपके Assets भी इन्हीं कर्मचारियों की तरह होते हैं ,जब आप किसी Asset में निवेश करते है तो वह आपके लिए लगातार  बिना सोए काम करता रहता हैं और आपको पैसा कमा कर देता है  हैं इसीलिए रॉबर्ट कहते हैं कि आप अपने Assets से पैसे तभी निकालो जब आप उन पैसों का कुछ और बेहतर इस्तेमाल कर सकते हो।

रॉबर्ट ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जब आप उन पैसे को बेवजह निकालकर खर्च करते हैं तो आपके पैसे खत्म हो जाते है और आप ज्यादा पैसा कमाने के अवसर को गवां देते हो इसीलिए  अगर एक बार किसी Asset में निवेश कर लिया तो कभी भी उस निवेश को ख़तम करके उस निवेश में से व्यक्तिगत खर्चो के लिए  पैसे नहीं निकलने चाहिए ,asset से पैसे निकालने की जगह आपको करना यह चाहिए की आप यह सोचे की आप कैसे इसमें और ज्यादा पैसे invest कर लाभ कमा सकते हो |

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Job vs Business

रॉबर्ट के पढ़े-लिखे गरीब डेड हार्ड वर्क में बिलीव करते थे वह हमेशा रोबर्ट को स्कूल जाकर मेहनत करने अच्छे नंबर लाने को कहते थे ताकि उन्हें आसानी से कोई अच्छी सी नौकरी मिल सके। पुअर डैड उन्हें कहते थे कि कंपनियां उन एंप्लोई पसंद नहीं करती जो हर साल अपनी नौकरी बदलते रहते हैं और जो इन कंपनी के वफादार होते हैं कंपनी उन्हें इनाम देती है।

जबकि रॉबर्ट के रिच डैड ने उन्हें सलाह दी थी कि खुद के लिए काम करना किसी दुसरे के लिए काम करने से हर हाल में अच्छा है,हमें अपने खुद के काम पर ध्यान देना चाहिए अपने खुद के काम पर ध्यान देने का यह मतलब नहीं है कि आपको अपनी नौकरी छोड़ देनी चाहिए इसका मतलब यह है कि आप दूसरे के लिए काम कर रहे हो तो आपको उससे वह सब जरूरी बातें सीखना चाहिए जो आपको खुद के काम को बनाने में और बढ़ाने में मदद कर सकती है।होना यह चाहिए कि हम भावनाओं के बजाए दिमाग से चलें। वेतन के लिए काम करने वाले अपनी नाक के नीचे मौजूद अवसरों को नहीं देख पाते।

रिच डैड का फलसफा है कि ऐसे लोग पैसे को लेकर अपने अज्ञान और डर की वजह से, सारी जिंदगी चूहादौड़ में फंसे रहते हैं। आखिर में वह कहते हैं कि हमें पैसे के लिए नहीं, सीखने के लिए काम करना चाहिए। जो हम जानते हैं, अगर उसने हमें अमीर नहीं बनाया तो हमें एक और दक्षता सीखनी चाहिए। पुअर डैड ‘विशेषज्ञता’ के विचार का समर्थन करते हैं।वह मानते हैं कि कम चीजों के बारे में ज्यादा जानने वाले लोग सम्मान का पात्र होते हैं। दूसरी तरफ रिच डैड कहते हैं कि हमें हर चीज के बारे में थोड़ा-थोड़ा पता होना चाहिए। नौकरी ही करनी है तो ज्यादा सैलरी वाली जॉब के बजाए ऐसी ढूंढें, जहां ज्यादा सीखने को मिले,अमीरों के लिए पैसा कैसे काम करता है, इसे रॉबर्ट उलझी हुई आर्थिक शब्दावली से इतर बेहद बिंदास अंदाज में हमारे सामने लाते हैं। वह कहते हैं कि पैसे के लिए काम करने वाले लोग असल में अपने मालिक, सरकार और बैंक वगैरह के लिए काम करते हैं। उनकी मेहनत से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा मुनाफे के रूप में मालिकों या शेयर होल्डरों को, करों के रूप में सरकार को और ब्याज के रूप में बैंक को चला जाता है। खुद उन्हें अपनी मेहनत का बहुत छोटा सा हिस्सा ही मिल पाता है। वे कभी अमीर नहीं बन पाते। सीधे तौर पर कहें तो वह नौकरी को अमीरी की राह में एक रोड़े की तरह पेश करते हैं।पुअर डैड की बात मानकर रॉबर्ट ने नौकरी की। लेकिन साथ ही साथ रिच डैड की सलाह पर सम्पत्ति के कॉलम को मजबूत बनाना जारी रखा। जल्दी ही वह चूहा दौड़ से बाहर आ गए। कितनी शानदार समझ है कि कॉरपोरेशन के मालिक कमाते हैं, खर्च करते हैं और कर चुकाते हैं, जबकि उनके लिए काम करने वाले कर्मचारी कमाते हैं, कर चुकाते हैं और फिर खर्च करते हैं।Rich dad poor dad in Hindi pdf डाउनलोड करने  बारे में जानने के लिए पोस्ट को अंत तक पढ़ियेगा 

मौके की पहचान करना

आपको अगर सही मौके की पहचान करना नहीं आता तो आप जिंदगी में कभी भी अमीर नहीं बन पाओगे

Take Risk

हमारी पैसों के मामले में सक्सेस इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपने रिस्क लेने के  डर को कितने अच्छे से संभाल सकते हैं। अमीर और गरीब लोगों के बीच में एक बड़ा अंतर अपने डर को संभालने के तरीके से जुड़ा है। आपको याद होगा कि कैसे बचपन में साइकिल चलाते हुए आप कितनी बार नीचे गिरे थे। अभी भी कई सारे लोग ऐसे हैं जिनको साइकिल चलाना नहीं आता लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें कभी साइकिल चलाने का मौका नहीं मिला बल्कि उन्होंने कभी साइकिल चलाना सीखा ही नहीं क्योंकि वह गिरने से डरते थे।इस किताब में बार-बार जिस जोखिम को स्वीकार करने का आग्रह किया है, रॉबर्ट ने वही जोखिम तब उठाया। नतीजा इस किताब की चमत्कारिक सफलता के रूप में सबके सामने है। सौ से अधिक देशों की पचास से ज्यादा भाषाओं में छप चुकी ‘रिच डैड, पुअर डैड’ की करोड़ो प्रतियां बिक चुकी हैं। 

अधिसंख्यक लोग कभी भी कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल नहीं कर पाते  क्योंकि वो लाइफ में कभी रिस्क नहीं लेते  परन्तु सच यह भी है कि कोई भी बिना रिस्क लिए कामयाब नहीं होता पाता ।रॉबर्ट ने एक और काम की बात अपने रिच डैड से सीखी थी। अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं क्योंकि वे फाइनेंशियल जीनियस होते हैं। वे स्मार्ट बनकर सुरक्षित खेल खेलने के बजाए जोखिम भरे खेल खेलते हैं। इससे उनके सामने ज्यादा विकल्प रहते हैं। यानी कड़ी मेहनत अमीर बनने का रास्ता नहीं है, बल्कि जरूरी है तो ऐसेट को लेकर पुराने विचारों से छुटकारा पाना। वित्तीय समझ विकसित करके ही पैसा कमाने के ज्यादातर विकल्प खोजे जा सकते हैं। यह समझ अंकों को पढ़ने की योग्यता, धन से धन बनाने का विज्ञान,नीतियों व कॉरपोरेट, बाजार की मांग और पूर्ति के सिद्धांत की समझ और कानून, अकाउंटिंग के बारे में जागरूकता से मिलकर बनता है। सबक यह कि जोखिम हमेशा रहता है इसलिए यदि अमीर बनना है तो इसे मैनेज करना सीखना चाहिए।

रॉबर्ट बताते हैं कि कैसे रिच डैड हमेशा यह सोचते थे कि हार उन्हें पहले से और  ज्यादा मजबूत और पहले से ज्यादा समझदार बना देती है वह जिंदगी को एक साहसी आदमी की तरह जीते थे। एक बार हारने के बाद उनकी जीतने की चाहत और ज्यादा बढ़ जाती थी ,आमतौर पर आप हमेशा जीतने से पहले हारते हो और फिर यह आप पर निर्भर करता है कि आप हार की वजह से खुद के आर्थिक विकास की संभावनाओ को खत्म कर देते हो या  फिर उस हार को भूल कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हो और जीतते हो।

Learn the art of selling

इस किताब में रॉबर्ट एक जर्नलिस्ट से बात करते हैं जिसके पास इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर की डिग्री होती है रॉबर्ट बताते हैं कि जब रॉबर्ट ने जर्नलिस्ट को सेलिंग सीखने की सलाह दी तो वह हैरान हो गई थी। रॉबर्ट मानते हैं कि वह बेस्ट सेलिंग ऑथर इसलिए है क्योंकि उन्हें चीजों को बेचना आता है ना कि इसलिए कि वह बेस्ट ऑथर हैं अगर आपको चीजें बेचना नहीं आती है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने स्किल्ड हैं आप हमेशा गरीब ही रहोगे अगर आपको अमीर बनना है तो चीजों को बेचने की कला को सीखना बहुत जरूरी है। आजकल के सारे प्रोफेशनल और आंत्रप्रेन्योर सिर्फ अपनी फील्ड में ही सबसे ज्यादा अच्छे नहीं हैं बल्कि उन्होंने बेचने की कला को भी सीखा है आपको अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर selling एवं नेटवर्किंग सीखनी होगी तभी आप खुद का कोई बिजनेस कर पाओगे। 

Hire  Smartly

स किताब में रॉबर्ट बताते हैं कि एक अच्छा आंत्रप्रेन्योर खुद से ज्यादा होशियार लोगों को अपने काम पर रखते हैं ऐसे लोग सबसे बड़े asset होते हैं ,बहुत ही कम बिजनेसमैन इस बात को समझते हैं कि एक एक्सपीरियंस्ड और एक खुश एंप्लॉय उनके लिए पैसों से भी ज्यादा बड़ा asset होता है अगर आप एक सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर बनना चाहते हो तो आपको अच्छे एम्प्लाइज को हायर करना चाहिए और उन्हें अच्छी सैलरी देना चाहिए।

रॉबर्ट कहते हैं कि एंप्लॉय की सैलरी उनके मांग करने से पहले ही बढ़ा देनी चाहिए जब आप ऐसा करते हो तो आपके एंप्लोई इस काम के लिए काफी मोटिवेट हो जाते हैं और अपने काम को और लगन और मेहनत से करते हैं ,इस तरह वह आपके लिए और ज्यादा पैसा कमाते हैं।।

तो दोस्तों यह थी मुख्य:-मुख्य :बातें फ्रॉम द बुक रिच डैड पुअर डैड की  

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अगर आप इस किताब से लाभ उठा कर अपनी लाइफ को बदना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद से एक ईमानदार सवाल पूछिए कि क्या आप बदलने एवं सीखने के लिए तैयार हैं? यदि हां, तो यह किताब आपके लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है 

दोस्तों  Rich dad poor dad in Hindi pdf download करने के लिए pdf फॉर्मेट में उपलब्ध नहीं है 

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दोस्तों यद्यपि आर्टिकल को बड़ी सावधानीपूर्वक Deep Research करके तैयार किया गया है फिर भी हम आपसे गुजारिश करते है की यदि आप को कही कुछ तथ्य या लेखन त्रुटि पूर्ण लगता है तो कृपया आप हमें सूचित करे,हम त्वरित कार्रवाही करते हुए त्रुटि को सही करेंगे

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